Tuesday, May 1, 2007

क्या तमाशा है भाई?

तो आप पूछेंगे, क्या ज़रूरत है इस blog की?

और हम कहेंगे, क्यों नहीं? हिंदी मातृभाषा है, और blogger ने जब माध्यम दे दिया है तो फ़ायदा तो उठाना ही चाहिऐ, है कि नहीं?

तो साहेबान, मेहरबान, कादर खान ... हमारा मतलब, कदरदान, थाम लीजिये अपने दिल की कमान... बन्दर और जमूरे का खेल शुरू होने जा रहा है! आपको मिलेंगे हमारे द्वारा लिखे हुआ लेख, कवितायें, और चुटकुले, इसी जगह पे।

अब चलते हैं... नमस्ते.

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